जैसे पंखुड़ियों के आँचल से लिपटी
कोई ओस की बूँद
जैसे दिल के तार छेड़ती
कोई मीठी सी धुन |
जैसे चेहरे पर खिली
मासूम सी हँसी
जैसे गोकुल के गलियारों में
कृष्णा की बंसी |
हाँ,तुम्ही तो हो!
जैसे बुझते दिए को बचाती
कोमल हथेलियाँ
कोमल हथेलियाँ
जैसे दूर किसी गाँव में
सरसों की फलियाँ |
जैसे गोधुली बेला में
वो पहला सितारा
जैसे झरनों में झिलमिलाती
कोई चमकती धारा |
हाँ,तुम्ही तो हो!
जैसे बिन मांगे पूरी हुई
कोई मनचाही मुराद
जैसे सब खोने के बाद भी
एक छोटी सी आस |
जैसे सुबह सुबह देखा
कोई सुन्दर सपना
जैसे परायों की भीड़ में
सिर्फ कोई अपना |
हाँ,तुम्ही तो हो!
जैसे सांसों में घुलती
हरसिंगार की महक
जैसे दिनों बाद आँगन में
पाखियों की चहक |
जैसे ठंडी ठंडी सी बयार
और गुलाब के बगीचे
जैसे नदियों का कल-कल
और सावन की झींसें |
हाँ,तुम्ही तो हो!
जैसे छत पर बैठा
परिंदों का जोड़ा
जैसे घर की देहलीज़ पर
तितलियों का डेरा |
जैसे आँखों से छलकते
ख़ुशी के आंसू
जैसे मंद-मंद- मुस्कुराती
बासंती ऋतू |
हाँ,तुम्ही तो हो!
जैसे चुनिन्दा शब्दों से गुथी
कोई प्यारी-सी कविता
जैसे रौशनी बिखेरती
निश्छल सविता |
निश्छल सविता |
जैसे खुदा का भेजा
कोई अनमोल फरिश्ता
खुशियाँ बाँटता जो
आहिस्ता-आहिस्ता |
हाँ,तुम्ही तो हो!
जैसे हाथों पर लिखी
भाग्य की लकीर
भाग्य की लकीर
जैसे दुआएं देता
कोई अनजाना फकीर |
जैसे कड़ी धूप के बाद
सुहावनी सी शाम
जैसे ज़िन्दगी का ही
कोई दूसरा नाम |
हाँ,तुम्ही तो हो!
सिर्फ तुम्ही तो हो!
गोधुली बेला=when day and night meet just after the sunset,पाखियों=birds,सविता=sun