December 26, 2011

तुम और मैं














सिरफिरे बादल से तुम
आवारा…..आज़ाद…शिखर के नज़दीक……
आकाश के आँगन में उमड़ते-घुमड़ते
रंगों की नयी-नयी छठा बिखेरते ……….
धूप की तपिश में हर रोज़ निखरते
एकदम बच्चों जैसे….मासूम .....
चाँद -तारों संग लुका -छिपी खेलते
हवाओं संग होड़ लगाते
कभी परिंदों की टोलियों को कहानियाँ सुनाते
और कभी ना जाने कहाँ गुम हो जाते …………
पागल ….बिल्कुल पागल हो तुम !
उड़नखटोले पर अपने जब सैर पर निकलते हो
सज-सँवर के………नारंगी, कभी नीली , कभी बैंगनी पोशाकों में
कितना इतराते फिरते हो …..उफ़……..ये अदाएं तुम्हारी !
जब कभी नाराज़ होते हो ना …..तो तुम्हारे गुस्से की धमक
धडकनें बढ़ा देती है….सच्ची !
पर वादियों की गोद में सिर रखकर ….फुर्सत में कभी
जब खुशियों के छोटे -छोटे मोती छलकाते हो
तो पूरी कायनात मानो जश्न में सराबोर हो जाती है
धरती सँवर जाती है ….नयी नवेली दुल्हन की तरह !
संगीत मीठे …रंग और गहरे हो जाते हैं
दिल के बंद किवाड़ आप ही खुल जाते हैं ……..
ना जाने क्या बात है तुममे ………..
परियों के सपनों से लगते हो
फिर भी अपने से लगते हो ……..

और बावली नदी सी मैं
कभी फूलों जैसी शांत ….
कभी तितलियों जैसी चँचल….
जड़ों से जुड़ी ......
सीमाओं में बंधी …
अपनी राहें खुद बनाती
झूमती …गाती ….बलखाती ….
बस बहती जाती …बहती जाती …!
रेशमी किरणों संग अठखेलियाँ करती
झुरमुठों में गुलशन संग घंटों बतियाती
कभी रेत के दानों पर कविता लिख आती
एकदम बच्चों जैसी….मासूम .....
कभी बेवजह ही जोर से खिलखिला कर हंस देती
कभी तारों- जड़ी ओढ़नी  पहन इतरा कर चल देती
और कभी तुम्हारे बारे में सोचते- सोचते
थोड़ा शर्माकर ...थोड़ा इठलाकर …खुद में सिमट जाती ….
कभी झील की सिलवटों सी सुलझी हुई सी
कभी अपनी ही लहरों में उलझी हुई सी
कभी  बिछड़े किनारों  को  जोड़ती  तो  कभी
अपनी  ही  गहराईयों  में  खोयी  हुई  सी ….

पता है? अक्सर छिप-छिपाकर
वो चाँद का टुकड़ा...... मुझमे उतर आता है ……
फिर सारी रात हम तुम्हारी ही बातें करते हैं …..

कितने  अलग  से  हैं ना ….मैं  और  तुम …
फिर  भी  कितने  एक  जैसे ….तुम  और  मैं
अनजाने  हैं  एक  दूजे  से
मिलेंगे  अचानक.....  कहीं किसी  अनजाने  से  मोड़  पर
शायद  फूलों  की  उन्ही  वादियों  के  बीच
जहाँ  मिलता  है  एक  सिरफिरा  बदल ….एक  बावली  नदी  से ……
ज़िन्दगी  मसरूफ़   है  अभी  उस  राह  को  संवारने  में
ये  इंतज़ार  तब  तक  अच्छा  लगता  है ….
है  ना ?

~Saumya

19 comments:

  1. वाह …………इंतज़ार का एक ये रूप भी होता है उसे बहुत खूबसूरती से संजोया है।

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  2. beautiful!! How many times I have used these words - "pagal, bilkul pagal ho tum"..
    :)
    So nice.. Ur Hindi is very high - level.. meaning.. kuch words samajh ke bahar the, par got the gist of the kavita.
    Loved reading it.

    TC, Punam

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  3. नए नए शब्द मिले आपकी इस खूबसूरत और प्रेरक कविता में ...

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  4. बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...

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  5. हाँ जी !

    :D

    कहीं तो मिलोगे ज़रूर, उड़ते बादल कि तरह !
    बारिश होती है वहाँ, जहां ऐसा मिलन होता है :)

    Blasphemous Aesthete

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  6. Hmmmm. ...itne din baad.....but chalo before new year kuch likh to liya.....:)
    hamesha ki tarah hi achha.
    जब कभी नाराज़ होते हो ना …..तो तुम्हारे गुस्से की धमक
    धडकनें बढ़ा देती है….सच्ची !
    mere sath b hota h yesa....

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  7. शब्दों के इस अनजान सफ़र में बहुत दूर तक चले गए थे.....

    बहुत ही सुन्दर रचना....

    कुँवर जी,

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  8. awsommeee yaar .....kya rumani andaaj dikhaya hai ......bahut bahut bahut sunder :)

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  9. Very nice...

    wish you a very HAPPY NEW YEAR' Somya....!I hope to read you more in 2012.

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  10. oh wow. just stumbled on your blog from one of my friend's links and this poem .....the spontaneity . I'm going to waste a lot of my time here i guess :P

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  11. पता नहीं क्यों, लेकिन जब भी मैं आपकी खुबसूरत सी कवितायेँ पढता हु, I get goosebumps, हर बार, सच्ची :)

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  12. Hey Saumya !
    Could n't stop myself from commenting here.... it was that good.

    I was totally mesmerized while reading this excellent piece of your imaginations. I was actually able to visualize every line and was smiling the whole time.

    Good one. keep it up !!

    "उन ख्वाबो को खझाने सा संभाल के रख्खा है...
    तेरी हर एक याद को आंखो मे सजाये रख्खा है."

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  13. very impressive..the way u get along with ur imaginations..
    may u b blessed wid this divine grace of god..
    thumbs up 4 u...:)

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  14. AnonymousMay 05, 2012

    very nice dear...really impressed by u first tym i read ur poem..vry vry vry nice..touchg d heart.

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  15. speechless...!!!
    it was awesome..
    too good

    i wish aisa ho jaaye :)

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  16. thank you all :)
    @committed to life: me too :)

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  17. Spellbinding. You painted such a beautiful story, such scenic beauty. Aesthetics, Ah...

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  18. @Ambuj: thanks a tonne...glad you liked it :)

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