आओ थोड़ा खुदा हो जाएँ
मिलकर अलग सी बारिश बनाएं
मन के बादलों से
प्यार-मुहब्बत के मोती छलकाएं
तिनका-तिनका खूब भिगायें
उम्मीद का सूरज उगाकर
ढेर सारे इन्द्रधनुष सजाएं
आओ थोड़ा खुदा हो जाएँ ।
तकदीर की लकीरें बनाएं
उस बस्ती में जहाँ बच्चे
काम पर जाते हैं
उनके हाथों में कलम पकड़ाएँ
आँखों में सपने बुनकर
कंचों से ज़ेबें भरकर
कागज़ की कश्ती के केवट बन जाएं
आओ थोड़ा खुदा हो जाएँ ।
चलो हम-तुम सन्ता-क्लॉस बन जाएं
गली-मोहल्ले में अपने-अपने
खुशियों के पैकिट बाँट आयें
हारे को हौसला दिला दें
रोती अँखियों को हँसा दें
दरकते बाजुओं को गले लगायें
गुलशन-ए-ज़िन्दगी सींच आयें
आओ थोड़ा खुदा हो जाएँ ।
नेकी हो मज़हब बनायें
सच के लिए हम लड़ जाएँ
देर कितनी भी हो जाए
अँधेरा मगर होने ना पाए
मोमबत्तियां कब तक जलेंगी
रूह में अपनी रौशनी लायें
कण-कण में जैसे वो बसा है
हर दिल में हम भी घर जाएँ
'एक' जैसे वो खड़ा है
'एक' हम भी हो जाएँ
ज़मीं आसमां का फ़र्क छोडें
जहाँ जाएँ जन्नत बनाएं
आओ थोड़ा खुदा हो जाएँ ।
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थोड़े तुम शिवा हो जाओ
~Saumya
थोड़े हम दुर्गा हो जाएँ
आओ थोड़ा खुदा हो जाएँ ।
~Saumya
ज़मीं आसमां का फ़र्क छोडें
ReplyDeleteजहाँ जाएँ जन्नत बनाएं
आओ थोड़ा खुदा हो जाएँ ।
बहुत नेक और खूबसूरत ख़्याल ... लाजवाब करती सोच ...
थोड़े तुम शिवा हो जाओ
ReplyDeleteथोड़े हम दुर्गा हो जाएँ
आओ थोड़ा खुदा हो जाएँ ।
वाह ॥बहुत सुंदर भावों को सँजोया है
तकदीर की लकीरे बन जाएँ ... सेंटा बन जाएँ ... आमीन ... ऐसा हो सके और किसी के होठो पे मुस्कान अ जाये तो जीवन भी सफल हो जाए ...
ReplyDeleteWhat a wonderful wish !
ReplyDeleteand the ultimate one ...
After all thats what we long for ...the ultimate longing .. being god
...Being ourselves the true and pure form...
After all thats what we are
Just need to remember that
As it is said
"Remembrance is enough!!!"
Perhaps I remembered for a moment reading your poem, or, a part of me did... Perhaps
वाह, कभी कभी यह काम भी कर लें हम।
ReplyDeletebehtareen.......
ReplyDelete@Sada ji: thanks a lot :)
ReplyDelete@sangeeta ji: thankyou :)
@Digamber ji: bilkul...thanks :)
@chandan: The long way realization..a little remembrance and then a little longing is what made me pen this down....If it clicked you somewhere perhaps thats the best a writer could get....thanks a tonne :)
ReplyDelete@Praveen ji: thankyou :)
@Mukesh ji: thanks :)
Very thoughtful. Loved few of these lines :
ReplyDeleteमोमबत्तियां कब तक जलेंगी
रूह में अपनी रौशनी लायें
आओ थोड़ा खुदा हो जाएँ ।
and
आओ थोड़ा खुदा हो जाएँ
तकदीर की लकीरें बनाएं
उस बस्ती में जहाँ बच्चे
काम पर जाते हैं
उनके हाथों में कलम पकड़ाएँ
Khuda hone ke liye agar election ka riwaaj hota toh khuda ki kurshi threat me thi! :)
@Amit: thankyou so much... really?...so who's giving him the strongest competition ? :)
ReplyDeleteawesome lines saumya.. a very different thought.. liked it very much.. :)
ReplyDelete@Sahityika: thankyou so much dear...glad you liked it :)
ReplyDeleteवाह बेहद खूबसूरत शब्दों की अभिव्यक्ति ....
ReplyDelete@Saumya : You..who else? tere welfare programs uske plans se jyada promising lag rahe hain! :P
ReplyDeletesuperb...
ReplyDeleteespecially neki ho majhab hmara..... para. :D
@ संजय भास्कर thankyou :)
ReplyDelete@Vivek VK Jain thanks a lot :)
ReplyDeleteएक बात है, जो बहुत दिनों से blogger के drafts में राखी है, बंद दरवाजों में, आज बड़े दिनों बाद कलम उठा कर उस पन्ने को पूरा करने का मन हो रहा है; पूरा करने की प्रेरणा दे रही है तुम्हारी, और बाकी साथियों की रचनाएं|
ReplyDeleteकाश हम कुछ समय से अधिक समय के लिए खुद को खुदा कर पाते :)
बहुत अच्छा विचार, उतनी ही अच्छी रचना!
Blasphemous Aesthete
@Blasphemous AestheteAnshul good to hear that...It's always a pleasure to read you...If its drafted it will be done....thanks for all the appreciation :)
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