हम दोनों
चाँद के दो टुकड़ों जैसे !
तुम
नूर से लबरेज़
केसरिया कुर्ते में
बिगड़े बदमाश से दिखते
(पता है...........पर हो नहीं!! )
रोम-रोम रूमानी.....शरारतें करते
हुस्न पर अपने.... इतराते फिरते
लड़कियां सारी फ़िदा हैं जिस पर !
और मैं
सबकी नज़रों से परे
थोड़ी साँवली सी
जियादा बावली सी
हमेशा मुस्कुराती रहती
(गालों पर गुल* नज़र आते हैं क्या?)
तिश्नगी में.....रोश्नी की....या शायद तुम्हारी
पर जान लो...तुमसे ....कुछ कम नहीं !
सोचो तो .......क्या मंज़र होगा !
जब 'एक' होंगे.... हम दोनों
पूरी मैं...............पूरे तुम !
झीना-झीना जब
वक़्त का परदा उठेगा
कहीं तीज सजेगी
कहीं ईद मनेगी
आँखों से आतिशबाजियां होंगी
ख़ुशी में हमारी !
सोचो तो .......
हम दोनों... इक साथ... सबको
इतने कमाल लगेंगे
कि कोई देख-देख मुस्काएगा
कोई दुआओं में बसाएगा
कोई तस्वीरों में उतारेगा
कोई घर बुलाएगा ..........
तोहफ़े में हमें
बेशुमार तारे मिलेंगे
हम दोनों..... इक साथ... सबको
इतने प्यारे लगेंगे !
सोचो तो
देखकर हमें
कोई संजीदा सी लड़की
नज़रों की ख़ालिस सियाही से
गुलाबी सी इक नज़्म लिख देगी
हमारे आसमां पर.....
और माँएं....... आदतन
अपनी उंगली के पोरों पर
आँखों से काजल निकालकर
हमें नज़र का..... काला टीका लगा देंगी !
सोचो तो.....तुम और मैं
चाँद के दो टुकड़ों जैसे !
मोहब्बत मुकम्मल होगी तब
जब 'एक' होंगे हम दोनों
पूरी मैं................पूरे तुम !
......................................................
......................................................
'एक' तो हैं ही ...हम दोनों ...पहले से.........................................................................................
बस मोहब्बत के नूर की बात है .....
वक़्त गया है लाने.......खुदा के घर................
फिर दिल के चिराग...... हमेशा के लिए...... जला लेंगे !
~Saumya
गुल--> Dimples
सोचा की बेहतरीन पंक्तियाँ चुन के तारीफ करून ... मगर पूरी नज़्म ही शानदार है ...आपने लफ्ज़ दिए है अपने एहसास को ... दिल छु लेने वाली रचना ...!!!
ReplyDeletethanks a lot!!
Deleteबहुत ही प्यारी नज़्म ....
ReplyDeleteएक' तो हैं ही ...हम दोनों ...पहले से
बस मोहब्बत के नूर की बात है .....
वक़्त गया है लाने.......खुदा के घर................
फिर दिल के चिराग...... हमेशा के लिए...... जला लेंगे !
मैं तो चाँद के दोनों टुकड़ों का अक्स ही देख रही हूँ
और माँएं....... आदतन
ReplyDeleteअपनी उंगली के पोरों पर
आँखों से काजल निकालकर
हमें नज़र का..... काला टीका लगा देंगी !
यकी़नन ...
बहुत खूब लिखा है ...
thankyou so much!!
Deleteबहुत सुन्दर अहसास की अभिव्यक्ति..
ReplyDelete:-)
shukriya :)
DeleteWow!! har ek line feelings se bhari padhi h.....jab bhi tum likhte ho poori feelings se likhte ho.
ReplyDelete'एक' तो हैं ही ...हम दोनों ...पहले से
बस मोहब्बत के नूर की बात है .....
वक़्त गया है लाने.......खुदा के घर................
फिर दिल के चिराग...... हमेशा के लिए...... जला लेंगे !
:):)
feelings naa ho to shabd khandahar lagenge...
Deletethankyou so much :) :)
beautiful .....ek dam narm garm type :)
ReplyDeletehehe...thankyou vandana :)
Deleteभई वाह....क्या बात है! जस्ट अमेंजिंग! सौम्या... आजकल तुम हर बॉल पर छक्का जड़ रही हो!
ReplyDeletehaha...thankyou sir!!
DeleteAchha chitran ! ye paktiyan lubha gayi..
ReplyDeleteसोचो तो
देखकर हमें
कोई संजीदा सी लड़की
नज़रों की ख़ालिस सियाही से
गुलाबी सी इक नज़्म लिख देगी
हमारे आसमां पर.....
और माँएं....... आदतन
अपनी उंगली के पोरों पर
आँखों से काजल निकालकर
हमें नज़र का..... काला टीका लगा देंगी !
thanks a lot :)
Deleteबेहद खूबसूरत सौम्या....
ReplyDeleteएक काला टीका मेरी तरफ से...इस नज़्म के लिए..
अनु
thankyou so much anu di...aur *kala teeka* ke liye :) :) :)
DeleteAwesome! Awesome! Awesome!!!
ReplyDeletepure awesome!!
ReplyDeletethanks a tonne :)
Deleteबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति..
ReplyDeletethanks!
Deleteमुबारक हो सौम्या,
ReplyDeleteयू आर इन लव!
अमेज्ड!
आशीष
--
द टूरिस्ट!!!
Ashish ji ye sirf ek kalpana matr hai...padhne ke liye shukriya :)
Deleteवो भी एक चाँद है
ReplyDeleteऔर तुम जैसे सिर्फ एक चाँद नहीं,
तुम तो उसकी परछाईं हो
एक दूसरे की चांदनी में सिमटा
एक कभी न ख़त्म होने वाला वजूद...
ये चांदनी हमेशा ही उतरती रहे
इस प्यार भरे आँगन में.....
ye bhi badhiya hai....thanks for the read :)
Deleteबहुत सुंदर प्रेममयी भावाव्यक्ति ,बधाई
ReplyDeletethanks!!
Deleteप्रेम का गहरा एहसास लिए ... ख्वाबो की बेलगाम उड़ान के शब्दों को बाँध दिया है ...
ReplyDeleteभावमय ....
मेरी टिप्पणी नहीं दिख रही ...
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना
sangeeta ji shayad bounce ho gayi hogi...kabhi kabhi google mein problem ho jaati hai....fir se aane ke liye bauhat bauhat shuriya :)
ReplyDeleteटिप्पणी बाउंस नहीं हुई होगी स्पैम मे गयी होगी। वहाँ से इस तरह निकाल सकती हैं--
Delete1-www.blogger.com मे लॉगिन कर लीजिये।
2-ब्लॉग के टाइटिल पर क्लिक कीजिये
3-बायीं तरफ कुछ मेन्यू ओपशंस दिखेंगे इनमे comments पर क्लिक कीजिये
4-cooments पर क्लिक करने के बाद इसके नीचे दूसरा (2nd)ऑप्शन spam पर क्लिक करने के बाद को कमेंट्स स्पैम मे गए होंगे वे दायीं तरफ दिखाई देंगे।
5-बस इन सभी कमेंट्स को सेलेक्ट कर के not spam पर क्लिक कर दीजिएगा।
सादर
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 23-08 -2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete.... आज की नयी पुरानी हलचल में .... मेरी पसंद .
thankyou so much :)
Deleteमोहब्बत के इस नायाब तोहफे को नज्म कह दिया आपने ,नूरे चश्म को नज्म कह दिया आपने ....अलग भाव बोध भाव छायांकन है आपका इस नज्म में ,बधाई .
ReplyDeletethanks a lot...
ReplyDeletePositive, deliciously romantic and gentle !! Loved it :-)
ReplyDeletethankyou so much...keep reading!! :)
Deleteबेहतरीन कविता
ReplyDeleteआपका ब्लॉग अच्छा लगा।
सादर
bauhat bauhat shukriya!!
Deleteबहुत सुन्दर रचना ........
ReplyDeletethanks!
Delete